भारत की राजधानी दिल्ली में , अमर जवान ज्योति लौ को करीब 400 मीटर की दुरी पर नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मिला दिया गया है। जो की आज़ादी मे लड़ाई करते हुए शहीदों को सम्मानित करने के लिए थी। यह पांच दशकों से भी ज्यादा समय से जलती आ रही थी। अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल दोनों इंडिया गेट पर स्थित है।
अमर जवान ज्योति का उद्धघाटन ( 1931 ) ब्रिटिश राज से लड़ते हुए शहीद हुए सैनिकों की याद में हुआ था। इस लौ नै भारत निवासियों को बहुत प्रेरित किया है। टेलीविज़न कवरेज पर गणतंत्र दिवस मे परेड की शुरुआत हमेशा इसी अमर जवान ज्योति लो के साथ आंरभ हुआ है।
वहीं नेशनल वॉर मेमोरियल जिसकी स्थापना जनवरी, 2019 मे हुई थी। जो की शहीदों की सम्मान के लिए बनाया गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को इंडिया गेट के पास 44 एकड़ में बना नेशनल वॉर मेमोरियल राष्ट्र को समर्पित किया था। नेशनल वॉर मेमोरियल और अमर जवान ज्योति लौ दोनों के लिए सम्मान और श्रधांजलि भी एक ही है।
दो ज्वालाओं को मिलाने का निर्णय , जो की एक इंडिया गेट और दूसरा नेशनल वॉर मेमोरियल , सम्मान की एकजुट भावना रखने का बहुत अच्छा तरीका है क्यूँकि हर सैनिक जिसने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान गवा दी वही असली नायक है।
आखिर क्यों अमर जवान ज्योति की लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल मे मिलाया गया ?
आधारिक सूत्रों के अनुसार , बहुत से युद्धों और संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रधांजलि देने के लिए कोई मेमोरियल नहीं था। अब जब एक समर्पित म्यूजियम है तो इसे उसके साथ मिला दिया गया। हलाकि शुरुआत मै यह निर्णय लिया गया था की इस अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल, दोनों स्थानों पर लौ जलता रहेगा। लकिन उनका कहना था की दोनों जगह लौ को जलाये रखना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। साथ ही साथ यह ही बताया जा रहा है की इंडिया गेट पर लिखे बहुत से नाम भी नेशनल वॉर मेमोरियल में लिखे जाएंगे ।