होली पर्व रंगो का त्योहार है इस दिन सब एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं।
आपसी भेदभाव को भूलकर लोग आप मैं रंग व गुलाल लगाते हैं। होली पर हम गुझिया बनाते और की पसंद का पकवान बनाते जाते हैं ,होली पर होलिका दहन होता है जिसका भी एक महत्व है।
पौराणिक कथा ।

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बड़ा राक्षस था जो खुद को भगवान मानता था उनके कुल में प्रहलाद नाम का एक पुत्र हुआ जो कि हिरण्यकश्यपका पुत्र था ।वह विष्णु भगत था पिता द्वारा अपने आप को भगवान बताना उसे मंजूर नहीं था तो उसने अपनी बहन होली होलिका को कहा कि आग में होली का कोई वरदान था कि वह आग में जल नहीं सकती तो उसने उसके भाई ने मतलब उसने कहा कि तुम प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाओ जिससे वह जलकर जलकर भस्म हो जाएगा
विष्णु के वरदान से प्रह्लाद जीवित रहा और होलिका अपने मन में छल कपट लिए आग में बैठ अग्नि में बैठी थी तो वह जल गई और प्रह्लाद का कुछ भी ना हुआ इसी दिन से यह परंपरा है कि इस दिन होलिका दहन होता है।
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