मथुरा के भगवान कृष्ण के जन्म स्थान वृन्दावन के पास निधिवन नामक एक रहस्य्मयी जगह है
जहां कथाओ के अनुसार कृष्ण गोपियों के साथ दिव्य नृत्य या रासलीला करते है। निधिवन शब्द एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ” खजाने का जंगल “। स्थानीय लोगो के अनुसार , निधिवन को गुरु हरिदास ने बसाया था , जिन्होंने गहरी भक्ति और तपस्या करके भगवान श्री कृष्ण को इस स्थान पर आने के लिए मजबूर किया था।
निधिवन राधा कृष्ण के प्रेम की एक मूरत है। और यह एक जंगल से घिरा हुआ है। कहा जाता है की भगवान कृष्ण और राधा रास लीला खत्म होने के बाद विश्राम करते है। पास में ही रंग महल नाम का एक मंदिर भी है जहां कहा गया है की कृष्ण अपने हाथो से राधा को सजाते है। रंग महल मंदिर के पुजारी रात की आरती के बाद द्वार बंद करने से पहले दांतुन ,एक साड़ी ,चुडिया , पान के पत्ते , मिठाई और पानी डालते है। हालांकि , सुबह सब कुछ बिखरा हुआ पाया जाता है जिस पर लोगो की टिप्पणी यह होती है की चीज़े इस्तेमाल होने के कारण बिखर जाती है।
मंदिर शाम को 5 बजे बंद हो जाता है जिसके बाद किसी भी व्यक्ति को पवित्र कुंज और मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। रात को यह वन बिलकुल शांत हो जाता है दिन में चहकने वाले पक्षी और बंदर की आवाज़े भी रात में आनी बंद हो जाती है। स्थानीय लोगो का कहना यह है की जो भी व्यक्ति रात को मंदिर मे जाने या रुकने का प्रयास करता है वो या तो पागल हो जाता है , गूँगा ,सद्बुद्धि खो देता है या फिर वह संसार की मोहमाया से मुक्त हो जाता है। वहां पर रहने वाले लोग रात को सख्ती से अंदर रहते है और उन्हें रात को बांसुरी , मधुर संगीत और पायलो की आवाज़ भी सुनाई देती है।
इसी के साथ यह भी मानना है की निधिवन में जो 16000 पेड़ आपस मे जुड़े हुए है वहीं रात में 16000 रनिया बनकर उनके साथ रास रचाती है। सुब्हे 5 :30 बजे रंग महल का दरवाजा खुलने पर उनके लिए रखी दातून गिल्ली मिलती है और सामान बिखरा हुआ मिलता है। जैसे की रात को कोई पलंग पर विश्राम करके गया है।
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