आप अगर ओडिशा जाने का प्लान कर रहे हैं तो, वाह के सबसे प्रसिद्ध मंदिर या यू कहूँ तो चारों धामों में से एक धाम जो हैं, श्री जगन्नाथ मंदिर वाह जरूर जाए, मंदिर के खूबसूरती मान्यताओं का क्या ही कहना । माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्वरम में विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप मंदिर के बाहर से एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।
मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपना देह त्याग किया तो उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उनका बाकी शरीर तो पंच तत्वों में मिल गया लेकिन उनका दिल सामान्य और जिंदा था। कहा जाता है कि उनका दिल आज भी सुरक्षित है। माना जाता है कि उनका यह दिल भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर है और वह आज भी धडक़ता है। इस मंदिर से जुड़ी एक रहस्य यह भी है कि कितनी भी धूप में इस मंदिर की परछाई कभी नहीं बनती।

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