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Nov 14, 2022
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श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी रहस्य….??

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श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी

आप अगर ओडिशा जाने का प्लान कर रहे हैं तो, वाह के सबसे प्रसिद्ध मंदिर या यू कहूँ तो चारों धामों में से एक धाम जो हैं, श्री जगन्नाथ मंदिर वाह जरूर जाए, मंदिर के खूबसूरती मान्यताओं  का क्या ही कहना । माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्‍वरम में विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप मंदिर के बाहर से एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।

हर 12 साल बाद जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ , बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्ति को बदला जाता है. जब भी इन मूर्तियों को बदला जाता है उस समय पूरे शहर की बिजली बंद कर दी जाती है. इस दौरान जगन्नाथ पुरी के इस मंदिर के आस पास अंधेरा कर दिया जाता है ।
मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपना देह त्याग किया तो उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उनका बाकी शरीर तो पंच तत्वों में मिल गया लेकिन उनका दिल सामान्य और जिंदा था। कहा जाता है कि उनका दिल आज भी सुरक्षित है। माना जाता है कि उनका यह दिल भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर है और वह आज भी धडक़ता है। इस मंदिर से जुड़ी एक रहस्य यह भी है कि कितनी भी धूप में इस मंदिर की परछाई कभी नहीं बनती।
और इस मंदिर  temple का रखोई घर दुनिया के सबसे बड़े रसोई घरों में से एक है। यहां 500 रसोइये और उनके 300 सहयोगी काम करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में कितने भी भक्त आ जाएं लेकिन कभी प्रसाद कम नहीं पड़ता। लेकिन जैसे ही मंदिर के बंद होने का समय आता है तो यह प्रसाद अपने आप खत्म हो जाता है। यहां बनने वाला प्रसाद 7 बर्तनों में बनता है जिसे एक ही लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। यहां की खास बात यह है कि इस लकड़ी के चूल्हे पर सबसे पहले सातवें स्थान पर सबसे ऊपर रखे हुए बर्तन का प्रसाद बनकर तैयार होता है ना कि सबसे नीचे रखे हुए बर्तन का।
दिल्ली से ये लगभग 1785 किलोमीटर की दूरी 29.45 घंटे में तय करती है, अगर आप भरता की राजधानी दिल्ली में रहते हैं तो आपको जाने के लिए ट्रेन और फ्लाइट की सुविधा दी गई है आप उसका लाभ उटा सकते हैं। ट्रेन तो सीधा पुरी रेलवे स्टेशन जक जाती हैं और फ्लाइट ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर तक हैं, वाह से लगभग 2 घंटे का रास्ता हैं ।
श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी रहस्य….?? 
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